BJP PDP ALLIANCE : BREAKUP

 भाजपा पीडीपी गठबंधन के 3 साल
BJP PDP ALLIANCE : BREAKUP
BJP PDP ALLIANCE : BREAKUP
जम्मू कश्मीर में बीजेपी पीडीपी की 3 साल से चल रही सरकार गिर चुकी है कल बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया महबूबा मुफ्ती ने राज्य के राज्यपाल एनएन वोहरा को अपना इस्तीफा भी दे दिया है तथा राज्य में राज्यपाल शासन को मंजूरी मिल चुकी है । भाजपा 3 साल बाद पीडीपी से समर्थन वापस ले कर शायद दोबारा हिंदुत्व की राजनीति पर वापस लौटने का प्रयास कर रही है 2019 का चुनाव करीब है जनता द्वारा पीडीपी पर सवाल उठाए जाते तो सरकार का यह फैसला कहीं न कहीं राजनीतिक तो है देर से ही सही पर यह सरकार का एक सही कदम है इससे कुछ तो राजनीतिक फायदे होंगे।
क्यों लिया समर्थन वापस ?
कल भाजपा के महासचिव तथा जम्मू कश्मीर के प्रभारी राम राघव  ने जम्मू कश्मीर राज्य सरकार से समर्थन वापस लेने की आधिकारिक घोषणा की तथा मीडिया को कुछ वजह बताएं जिसकी वजह से सरकार ने यह फैसला लिया उन्होंने जो भी वजह बतायी वह काफी नहीं थे इसके अलावा भी कुछ ऐसी वजह हैं जिसकी वजह से यह फैसला लिया गया राजनीति में यह तय है कि कुछ भी तय नहीं है करीब 3 साल पहले राजनीतिक विचारधारा को दरकिनार कर सत्ता के लिए एकजुट हुई बीजेपी पीडीपी ने कल एक दूसरे से नाता तोड़ लिया वहां सरकार गिरा दी गई फरवरी 2015 में जब बीजेपी पीडीपी ने गठबंधन का रास्ता चुना तभी से यह सवाल उठने लगा किया गठबंधन कितने दिनों तक चलेगा तब मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा था कि यह नॉर्थ पोल और साउथ पोल का गठबंधन है हालांकि दोनों दलों ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का फार्मूला तैयार किया और सरकार चलती रही लेकिन बीजेपी और पीडीपी के बीच वैचारिक मतभेद कभी कम नहीं हुए और राम राघव के बताएं कारणों के अलावा भाजपा और पीडीपी के बीच गठबंधन टूटने कि कुछ वजह बनी -
1:- अनुच्छेद 370 जिसे हटाने की बात भाजपा पूरे देश की जनता से हमेशा से कहती रही है इस 370 को लेकर बीजेपी और पीडीपी कभी एकमत नहीं रहे  भाजपा इसे हटाने की बात करती रही और पीडीपी  हमेशा से इसके पक्ष में रही ।
2:- अनुच्छेद 35ए अनुच्छेद 370 का हिस्सा है इस पर बीजेपी और पीडीपी में शुरुआत से ही मतभेद रहा अनुच्छेद 35ए के तहत जम्मू कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार और सुरक्षा हासिल है  पीडीपी इस अनुच्छेद को सुरक्षित रखना चाहती है और भाजपा देश के सभी नागरिकों के लिए समान विशेषाधिकार चाहती है ।
3:- अफस्पा जम्मू कश्मीर में अफस्पा यानी आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट लागू है केंद्र इसे हटाने पर सहमत नहीं है वही पीडीपी इसे हटाने के पक्ष में रही है सेना का आतंकियों के खिलाफ बड़े स्तर पर राज्य में ऑपरेशन जारी है ऐसे समय में केंद्र सरकार झुके यह संभव नहीं था ।
4:- पाकिस्तान के साथ बातचीत का रवैये  को लेकर भाजपा और पीडीपी में कभी भी सहमति नहीं बनी पीडीपी पाकिस्तान के साथ बातचीत का समर्थन करती रही और भाजपा का कहना रहा कि पाकिस्तान जब तक सीमा पर शांति बहाल नहीं करता तब तक किसी तरह से बातचीत संभव नहीं है ।
5:- रमजान के मौके पर जम्मू कश्मीर में सीजफायर लागू करने के लिए महबूबा मुफ्ती ने दबाव बनाया था जिसके बाद केंद्र ने 16 मई को सीजफायर की घोषणा की थी जिसकी वजह से आतंकी वारदातों में बढ़ोतरी हुई केंद्र सरकार को अपने इस फैसले को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा पिछले दिनों केंद्र ने फिर से सीजफायर खत्म कर दिया ।
6:- केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अलगाववादियों के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू हुई टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में शब्बीर शाह समेत कम से कम 11 अलगाववादी नेताओं को केंद्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया इस पर पीडीपी का कहना था कि गिरफ्तारी से राज्य की स्थिति और खराब हो सकती है ।
7:- जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों के खिलाफ पत्थरबाजी आम है पीडीपी हमेशा पत्थरबाजों पर रहम की मांग करती रही है जब पत्थरबाजों से बचने के लिए मेजर रितुल गोगोई ने एक शख्स को मानव ढाल बनाया तो जम्मू कश्मीर सरकार उनके खिलाफ FIR दर्ज कराने से भी नहीं चूकि वहीं भाजपा कि इस मामले में बिल्कुल अलग रहा है वह पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का दावा करती रही है ।
8:- जम्मू कश्मीर के कठुआ में नाबालिग लड़की से गैंगरेप के मामले की जांच को लेकर राज्य सरकार तथा बीजेपी के कई नेता और मंत्री सवाल उठाते रहे बीजेपी के दो मंत्रियों ने आरोपियों के पक्ष में रैलियां निकाली दोनों मंत्रियों को काफी आलोचनाओं के बाद इस्तीफा देना पड़ा । ऐसे और कई कारण रहे हैं जिससे मनभेद मतभेद में बदल गया जो गठबंधन टूटने का कारण बना ।
किसकी बनेगी सरकार ?
28 दिसंबर 2014 विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा हुई जिसके बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन गई यानी किसी को भी बहुमत नहीं मिला 87 सदस्यीय विधान सभा में पीडीपी 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी बीजेपी को 25, नेशनल कांफ्रेंस को 15, कांग्रेस को 12 तथा अन्य को 7 सीटें प्राप्त हुई किसी को स्पष्ट बहुमत ना होने के कारण 28 दिसंबर को जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा दिया गया । 1 मार्च 2015 को मोहम्मद सईद ने दूसरी बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली तथा राज्य मे राज्यपाल शासन समाप्त हुआ । 7 जनवरी 2016 को  मुफ्ती मोहम्मद सईद की बीमारी के कारण दिल्ली में निधन हो गया जिसके बाद 4 अप्रैल को महबूबा मुफ्ती ने राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली । 3 सालों तक किसी तरह सरकार को चलाया गया तथा 29 जून को बीजेपी ने गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया तथा महबूबा मुफ्ती ने त्यागपत्र दे दिया एक बार फिर से राज्यपाल शासन लगाया गया अब सवाल यह है कि यहां सरकार किसकी बनती है इस स्थिति को देखते हुए तीन आंकड़े तैयार होते हैं -
पहला आंकड़ा यह है कि महबूबा मुफ्ती की 28 सीटों वाली पीडीपी 12 सीटों वाली कांग्रेस और अन्य 7 सीटों के साथ मिलकर 47 के आंकड़े पर सरकार बनाने का दावा पेश करें ।
दूसरा आंकड़ा यह है की कि भाजपा अपने 25 सीटों के साथ 15 सीटों वाली उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस और 7 अन्य के साथ मिलकर 47 सीटों के आंकड़ों के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करें ।
पर परिस्थिति यह है कि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद तथा नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने गठबंधन को लेकर साफ मना कर दिया है इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जम्मू कश्मीर में अब राज्यपाल शासन के अलावा कोई दूसरा चारा नजर नहीं आता ।
सरकार चाहे वहां कैसी भी बने पर भाजपा का यह फैसला राष्ट्रहित में है  किसी भी पार्टी को असामाजिक तत्वों का साथ देने वाली पार्टी के साथ मिलकर सरकार नहीं बनानी चाहिए भाजपा के इस फैसले से देश को तथा भाजपा को भी कहीं ना कहीं फायदा जरुर पहुंचेगा 2019 के  चुनाव में भाजपा के इस फैसले का जनता सम्मान करेगी शायद भाजपा के इस फैसले का उद्देश्य भी यही था ।

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