Four years of Modi government

मोदी सरकार के चार साल
four years of modi government
मोदी सरकार के 4 साल 26 मई 2018 को पूरे हो गए, पूरे होते ही देश में 31% लोगों द्वारा सरकारोत्सव मनाने का कार्य शुरू हुआ, लिहाजा यह सरकारोत्सव अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट द्वारा अपने कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में अपनी उपलब्धियों को गिनाते हुए मनाया था। भारत में उत्सव के औचित्य को समझने की हमने कोशिश की तो कुछ समझ तो आया । कि सरकार अपनी उपलब्धियों को बताने की कोशिश और अपने 4 साल के कार्यों का लेखा जोखा जनता तक पहुंचाने के लिए शायद इसका प्रयोग कर रही है जो शायद ठीक भी है और होना भी चाहिए हमने 27 मई के अख़बार को देखा  तो उत्सव समझ में आने लगा देशभर के अखबारों में राज्य सरकारों द्वारा सरकार की उपलब्धियों को गिनाया जा रहा था कुछ अखबारों में राज्य सरकारों ने कुछ अपनी भी उपलब्धियां गिनायीं शायद एक अच्छा मौका भी था । सरकार ने जनता के पैसों का जिस तरह सरकारी विज्ञापनों में खर्च किया गया वह सदुपयोग था या दुरुपयोग था यह बताना तो संभव नहीं है पर हुआ ।
जब हमने सरकार के 4 साल के कार्यों के बारे में लिखने की कोशिश की तो यह समझना मुश्किल हो गया कि शुरू कहां से करें फिर भाजपा के ही वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी से मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि आप मोदी सरकार को 100 में कितने अंक देते हैं तो उन्होंने मीडिया को बताया कि जब किसी ने पेपर में कुछ लिखा ही नहीं है तो उसे अंक क्या देना । तो हम सोचने पर मजबूर होते हैं कि उन्हीं के लोग और उन्हीं की मीडिया आखिर उन्हीं के बारे में ऐसा क्यों कह रही है, कुछ तो ऐसा है जो शायद जनता को नहीं पता लेकिन फिर भी खुशी इस बात की है कि देश में कुछ लोग खुश तो हैं सरकार काम तो कर रही है आधार कार्ड भी बनाए गए हैं उसे एकाउन्ट से लिंक भी करवाया गया है भ्रष्टाचार तथा महंगाई पर भी सरकार सोच रही है रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के लिए सीटें भी लगवाई जा रही है राष्ट्रहित में स्वयं मोदी जी विश्व के विभिन्न देशों में यात्राएं किए और तमाम तरह के करार भी किए गए निवेश भी लगातार हो ही रहे होगें । देश की आर्थिक स्तर लगातार ऊपर उठा रही है  यह अलग बात है कि देश के कुछ ही परिवारों का पर देश का आर्थिक विकास हो तो रहा है । फिर भी वह कौन लोग हैं जो सरकार की आलोचना करते हैं ? 
पिछला पूरा सप्ताह हमने मोदी जी द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए भाषण को सुनने में निकाल दिया, जिसमें वह हर जनसभा में बोलते हुए नजर आए कि हमारी सरकार आने पर सेना के हालात ठीक होगें, अगर पाकिस्तान हमारे एक सैनिक का सर काटेगा तो हम उनके 10 सैनिको के सर लाएंगे, भ्रष्टाचार नियंत्रित होगा, काला धन वापस आएगा, किसानों के हालात ठीक होंगे, 56 इंच का सीना, अच्छे दिन, विकास, 100 दिन में काला धन वापस लाने की बात, तो इतनी आम हो गई थी लगभग हर भाजपा नेताओं द्वारा बोला गया । इतने वादों के बाद अंतत:  सरकार बनी । और बैंकों की लाइन में लगे लगे 4 साल कब गुजर गए पता ही नहीं चला ।
देश की पहली और सबसे आवश्यक चीज सुरक्षा होती है जो मेरी नजर में सेना की आजादी पर निर्भर करता है, पर देश में सेना की आजादी को अगर देखा जाए तो जम्मू कश्मीर से ज्यादा स्पष्ट होती है जहां हमारे सेना पर उपद्रवियों तथा पत्थरबाजों द्वारा लगातार हमला किया जाता है  और हमारी सरकार द्वारा सेना को सीजफायर का आदेश दिया जाता है, आज वहां के हजारों गांवों के लाखों लोग सीमा पार पलायन करने को मजबूर है और हो रहे हैं, और हमारी सरकार जम्मू कश्मीर को लेकर शुरू से ही ढुलमुल नीति अपनाती रही है अॉपरेशन अॉल आउट सरकार की इन्हीं नीतियों की वजह से नाकाम रही ।
Four years of Modi government
पिछले 2 वर्षों में हमारे 85 जवान शहीद हुए तब मुझे 56 इंच का सीना तथा वह 10 सिर लाने वाली बात याद तो आई है। आजतक के कार्यक्रम पंचायत लाइव मैं राहुल कवल द्वारा गृहमंत्री राजनाथ सिंह से दाऊद और हाफिज सईद पर सवाल पूछे जाने पर उनका जो  रवैया रहा वह सरकार की आतंकवाद विरोधी नीतियों पर कई सवाल खड़ा करती है, हो सकता है गृह मंत्री की कुछ मर्यादाएं हो परंतु ये मर्यादाएं उन्हें आश्वासन देने से नहीं रोकती आश्वासन तो दे सकते थे जो भाजपा पिछले कई वर्षों से लगातार देती आ रही है ।
किसी बाहरी देश से अगर कोई शरणार्थी भारत आता है तो भारत सरकार का यह कर्तव्य होता है कि वह उसे शरण दे और देना भी चाहिए इसी बात को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय द्वारा नागरिकता बिल लाया गया जिसे शायद लाना भी चाहिए था उस बिल में कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति बाहर से पीड़ित होकर हिंदुस्तान आता है तो उसे हिंदुस्तान अपनी शरण देगा परंतु उसी बिल में यह कहना कि वह व्यक्ति हिंदू होना चाहिए यह भाजपा के हिंदूवादी सोच को प्रमाणित करता है एक तरफ भाजपा मानवता का हवाला देते हुए पाकिस्तान के साथ संवाद करती रही है वहीं दूसरी तरफ इस नागरिकता बिल में इस तरह के अनर्थक बात करके किस तरह के मानवता को प्रमाणित करना चाहती है इसे समझना तो मुश्किल है ।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट में यह बताया गया कि भारत में पिछले 4 सालों में 8 लाख 23 हजार नौकरियां दी गई हैं, पर मोदी जी द्वारा चुनाव पूर्व अपनी जनसभाओं में 2 करोड़ प्रतिवर्ष नई नौकरी देने की बात कही थी  यह एक अलग बात है की जनता यह नहीं जानती थी कि पकौड़ा बेचना भी एक रोजगार है । यही हालात हमारे देश के किसानों की भी है उनसे भी कहा गया था कि लागत को दोगुना करके दिया जाएगा पर हालात यह हैं कि 35 किसान रोज आत्महत्या करने के लिए इस देश में मजबूर है हमारी सरकार किसान कर्ज माफी को लेकर कोई कदम नहीं उठाती है और भारत के कुछ उद्योगपतियों के 1 लाख 12 हजार करोड रुपए माफ कर देती है, गुजरात में हजारों एकड़ जमीन ₹10 प्रति एकड़ के हिसाब से रिलायंस ग्रुप को दे  दिया जाता है देश के कुछ नेताओं के बेटों का 80 हजार का व्यापार 80 करोड़ का हो जाता है विजय माल्या  और नीरव मोदी जैसे लुटेरों को मोदी सरकार देश से बाहर निकालने में मदद करती हैं और सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगता है, और सरकार अपने आप को भ्रष्टाचार विरोधी बताती रहती है और हम मन की बात सुनते रहते हैं ।
four years of modi governmentचार-पांच घंटे चुनावी जनसभा में बोलने के बाद यह विश्व के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो शाम को रेडियो पर मन की बात भी करते हैं और उसकी विडंबना यह है कि वह रेडियो पर किया गया मन की बात TV पर भी दिखाया जाता है, रेडियो पर किए जाने वाले मन की बात का प्रचार कई दिन पहले से TV पर किया जाता है जिसके लिए सरकार 8 करोड़  रुपए खर्च करती है जब की मन की बात का राजस्व 4 करोड़ 78 लाख ही है बाकी पैसे कहां से आते हैं शायद यह जनता तो जानती होगी । सरकार अपने आप को बेहतर दिखाने के लिए जिन साधनों और जिन रूपयों का प्रयोग कर रही है उसका कुछ प्रतिशत हिस्सा भी ईमानदारी के साथ अगर जनता के हित में लगाया होता तो शायद इसकी आवश्यकता ही नहीं होती ।
four years of modi government
आज भारत के सत्ता के गलियारे में विपक्ष का अकाल सा पड़ गया है, शायद इसी लिए विपक्ष के लोग एक हो रहे हैं और महागठबंधन बनाने की कोशिश की जा रही है इस महागठबंधन से भाजपा को कुछ तो चिंता है शायद इसी कारण भाजपा इस महागठबंधन को अनैतिक गठबंधन का नाम दे रही है, इसे यह नाम देने से पहले भाजपा को अपने गठबंधनों के बारे में कुछ तो विचार कर लेना चाहिए जिसने जम्मू कश्मीर में पी.डी.पी और त्रिपुरा में आई.पी.एफ.टी जैसी अलगाववादी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाती है, यह वही पीडीपी है जिसकी मुखिया ने अफजल गुरु को शहीद घोषित करने की सिफारिश तथा जम्मू कश्मीर में दो झंडे और पाकिस्तान की करेंसी चलाने की बात कही थी भाजपा उसके साथ गठबंधन करके सरकार बनाती हैं और उधर त्रिपुरा में आई.पी.एफ.टी जो कि एक अलगाववादी विचारधारा की पार्टी है के साथ मिलकर सरकार बनाती हैं तो फिर यह समझ में नहीं आता कि इनका गठबंधन नैतिक है या अनैतिक । आज भाजपा पूरी तरह से पावर पॉलिटिक्स की नीति पर कार्य कर रही है जिसमें किसी भी तरह से किसी भी साधनों का प्रयोग करके सत्ता में आना ही मकसद होता है आज भाजपा सत्ता में आने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है ।
किसी भी सरकार के मूलतः पांच ऐसे मानक होते हैं जिस पर हम उसकी अच्छाई और बुराई का अनुमान लगाते हैं सांप्रदायिक सौहार्द, राजनीतिक स्थिरता, राजनीतिक विकास, आंतरिक सुरक्षा, और कूटनीति । भाजपा कहीं ना कहीं इन सभी मानकों पर खरी नहीं उतरती है, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बाद करने वाली भाजपा के 17 शीर्ष के मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में आज जमानत पर है, सरकार सभी आंकड़े अपने हिसाब से पेश करती है और गोदी मीडिया से उसे प्रमाणित करवाती है, जैसे भारत के 6 लाख 25 हजार गांव में से 3% गांवों का विद्युतीकरण करके उसे 100% में बदल देती हैं आज कच्चे तेल का दाम ₹70/ वैरल होने के बावजूद भी भारत में तेल का औसतन मूल्य दिल्ली में ₹70 तथा मुंबई में 84 रुपए से ऊपर है । सरकार अपनी इन्हीं नाकामियों को छुपाने के लिए देश में एक अराजकता की स्थिति बना रही है वोटों का ध्रुवीकरण कर रही है जातिवाद को बढ़ावा दे रही है । भाजपा के चुनाव प्रचार की शुरूआत विकास के साथ होती है तथा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन आते आते ही विकास का मुद्दा हिंदू मुस्लिम और पाकिस्तान मैं बदल चुका होता है और हम कथाकथित राष्ट्रवादी बन रहे होते हैं । आज की सरकार  "भाषण आसन और आश्वासन" की सरकार और जनता मूक दर्शक बनकर रह गई है ।

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