एयर स्ट्राइक के बाद देश के बदलते राजनीतिक समीकरण

 एयर स्ट्राइक के बाद देश के बदलते राजनीतिक समीकरण
 एयर स्ट्राइक के बाद देश के बदलते राजनीतिक समीकरण

एयर स्ट्राइक के बाद देश के बदलते राजनीतिक समीकरण

पुलवामा हमले के बाद देश के राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं पुलवामा हमले में हमारे जवानों की शहादत पर सभी राजनीतिक दलों के राजनेताओं द्वारा राजनीति करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा गया और आज भी उस पर राजनीतिक हमले जारी है । इस हमले के बाद हमारे एयरफोर्स के द्वारा जैश - ए - मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर जो एयर स्ट्राइक किया गया उसके बाद से हमारे देश के राजनीतिक समीकरण पूरी तरीके से बदलते चले गए और लगातार बदल रहे हैं ।  सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपनी रणनीतियां बदली जा रही है और इस बात की कोशिश की जा रही है की एयर स्ट्राइक को किस तरीके से अपने फायदे के लिए प्रयोग किया जा सके । जहां कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी को राफेल, कर्जमाफी, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर घेरकर फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रही थी आज वह अचानक बैकफुट पर नजर आने लगी है तथा अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर हो गई है ।
आज हमारे देश की राजनीति इतनी गिर चुकी है कि भारत के राजनीतिक पंडित भी भारत के राजनीतिक समीकरण के आईने को साफ करने में अपने आप को असमर्थ महसूस कर रहे हैं, इसमें उनकी  विद्वता पर कोई सवाल तो नहीं खड़ा होता है इसके पीछे भारत के राजनेताओं का गिरा हुआ स्तर हो सकता है आज भारत के अधिकतर राजनेता थाली के बैंगन हो गए हैं जिधर वह अपना फायदा देख रहे हैं उधर की तरफ लुढ़क जाते हैं । उत्तर प्रदेश में लगभग ढाई दशक बाद जब दो घोर विरोधी पार्टी  सपा और बसपा ने गठबंधन का ऐलान किया तो अचानक कांग्रेस की संभावनाएं खत्म हो गई, लंबे वक्त से सपा बसपा के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में जुटी कांग्रेस अकेली पड़ गई इसके बाद पार्टी ने अपनी रणनीति बदली और लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया कांग्रेस का मानना था कि प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में कोई नया जादू करेंगी और सपा बसपा का गठबंधन कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा । लेकिन 26 फरवरी को हमारी सेना द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक के बाद देश का राजनीतिक समीकरण पूरी तरीके से बदल गया । और उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ आया कल सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महागठबंधन के आईने को साफ करने की कोशिश की और बताया कि महागठबंधन से कांग्रेस अलग नहीं है ।
इस बदले माहौल में सिर्फ कांग्रेस को ही अपनी रणनीति बदलने की जरूरत महसूस नहीं हुई है बल्कि अन्य विपक्षी दलों को भी लोकसभा चुनाव 2019 में अपने वोट बैंक खिसकते नजर आ रहे हैं, यही वजह है कि 2 महीना पहले कांग्रेस को भाव न देने वाली सपा और बसपा ने नए सिरे से गठबंधन करने की सोची है, बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी और बहुजन समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने कांग्रेस को 10 सीटों का ऑफर दिया है । जो की पहले सिर्फ 2 सीटें ( रायबरेली और अमेठी )ही  दी जा रहीं थीं । हालाकि इस पर अंतिम फैसला  कांग्रेस को ही लेना  है । उत्तर प्रदेश जैसे हालात  दिल्ली में भी बने हुए हैं दिल्ली में कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित ने स्थानीय नेताओं के साथ बैठक की  उस बैठक में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर कोई निर्णय नहीं हो पाया । बाद में सूचना मिली कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन हो सकता है और कल राहुल गांधी से मिलने के बाद शीला दीक्षित ने यह तय कर दिया कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन नहीं होगा । अभी भी इस पर बहुत सारे दांव बाकी हैं ।  बताया जा रहा है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार और  आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी से गठबंधन के लिए फिर से विचार करने का आग्रह किया है ।
इस बदलते माहौल से पश्चिम बंगाल की राजनीति तथा ममता बनर्जी की राजनीति भी अछूती नहीं रही है कुछ दिनों पहले कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में 20 से ज्यादा विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाकर मोदी के खिलाफ ताल ठोकने वाली पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की नीतियां बदलती नजर आ रही है कहा जा रहा है कि नई परिस्थितियों में तृणमूल कांग्रेस के साथ अपने मतभेदों को पीछे छोड़ने के लिए तैयार है मेरा मानना है कि दोनों पार्टियों की पश्चिम बंगाल में 42 संसदीय सीटों पर आपसी सहमति बन सकती है लेकिन पेंच सीपीएम को लेकर फंस गया है तृणमूल और सीपीएम एक दूसरे के कट्टर विरोधी पार्टियां हैं सीपीएम ने भी कांग्रेस के साथ बंगाल की 6 सीटों पर समझौता की बात की है सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि केंद्रीय समिति ने पश्चिम बंगाल में 6 सीटों पर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया ऐसे में मामला लगातार दिलचस्प होता जा रहा है ।
एअर स्ट्राइक का राजनीतिक फायदा उठाने की होड़ में भारतीय जनता पार्टी ने सभी पार्टियों के पीछे छोड़ दिया है पिछले दो - चार दिनों से प्रधानमंत्री मोदी के बयान और भाषण का लहजा पूरी तरीके से बदला हुआ नजर आ रहा है । भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव 2019 में राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है, इसमें भी अपनी रणनीति बदल दी हैं । यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी टैगलाइन "नामुमकिन भी अब मुमकिन है" को बदलकर "मोदी है तो मुमकिन है" कर दिया है इससे साफ पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी पुलवामा हमला तथा 26 फरवरी को  एयरफोर्स  द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक का पूरा फायदा लोकसभा चुनाव में उठाने की कोशिश कर रही है । इनकी कोशिश ने विपक्षी दलों को मुद्दा विहीन कर दिया है आज विपक्ष को पता नहीं चल रहा है कि उसे किस मुद्दे पर बात करनी चाहिए किस मुद्दे पर बात नहीं करनी चाहिए मोदी को किस तरीके से घेरना चाहिए कैसे नहीं घेरना चाहिए । महागठबंधन का समीकरण भी पूरी तरीके से बदलता हुआ नजर आ रहा है, कुछ पार्टी है जो अपने आप को स्वतंत्र रूप से लड़ने की फिराक में थीं आज महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश कर रही है कांग्रेसी इसमें पूरी तरीके से अपने आप को कमजोर महसूस कर रही है कांग्रेस के सामने अब ऐसा कोई मुद्दा नजर नहीं आ रहा है जिससे वह भारतीय जनता पार्टी को घेर सके और 2019 के लोकसभा चुनाव में कोई नया मुद्दा ला सके ।
एयर स्ट्राइक के बाद भारतीय जनता पार्टी में एक नया ही जोश में दिखाई दे रही है क्योंकि बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में गीतकार प्रसून जोशी बीजेपी के लिए जो गाना लिख रहे हैं उसमें "देश नहीं झुकने दूंगा" शामिल है यह कविता मोदी ने एयर स्ट्राइक के दूसरे दिन राजस्थान में शुरू हुई  रैली में कहा था इन सब बातों के बीच विपक्ष लोकसभा में 'ऑपरेशन बालाकोट' के काट ढूंढने की कोशिश कर रही है । साथ ही समीकरणों को देखते हुए अब एक-दूसरे के साथ में आने की भी कोई दिक्कत नजर नहीं आ रही है । ध्यान देने वाली बात यह है कि इन पार्टियों का वोट शेयर मिलकर बीजेपी के लिए बड़ी दिक्कत खड़ी कर सकती हैं गोरखपुर और फूलपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव के नतीजे इसका सबसे बड़ा उदाहरण है । ऐसा नहीं है कि एयर स्ट्राइक का फायदा सिर्फ बीजेपी को ही हो रहा है सभी पार्टियां इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रही है  कोई इसके पक्ष में तो कोई  विपक्ष में है । इससे भाजपा को  कुछ नुकसान हो सकते हैं भाजपा ने जिस तरीके से इसको पेश करने की कोशिश की है उसे विपक्ष लगातार मजबूत होता जा रहा है अपने वोट प्रतिशत को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है और बढ़ भी सकता है जिससे भाजपा को सीधा नुकसान हो सकता है ।
 एयर स्ट्राइक के बाद देश के राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं जिसमें कुछ नुकसान भारतीय जनता पार्टी को भी हो रहा है या हो सकता है उत्तर प्रदेश में एसपी बीएसपी ने जहां कांग्रेस को 2 सीटें देने की बात की थी अब वह 10 सीटों का ऑफर दे रही हैं । भाजपा के सांसद सावित्री बाई फुले ने कांग्रेस में शामिल होने के 2 दिन बाद ही बसपा के 2 बड़े नेता भी कांग्रेस से जुड़ गए पूर्व बसपा सांसद कैसर जहां और पूर्व विधायक जसवीर अंसारी तथा उनके समर्थकों ने सोमवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया यह भी बीजेपी के लिए चिन्ता की बात है । माकपा ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस युवा मोर्चा के कब्जे वाली 6 पार्टियों पर आगामी लोकसभा चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव न लड़ने की बात कही है । माकपा के इस प्रस्ताव से संकेत मिलता है कि वह भाजपा विरोधी वोटों को मजबूत करने के लिए राज्य में दो राजनीतिक खेमों में एक समझ कायम करना चाहती है । हालांकि राज्य में कांग्रेस नेतृत्व ने कहा है कि वह इन चुनाव में अकेले ही ताल ठोकने को तैयार है अगर वाममोर्चा रायगंज और मुर्शिदाबाद संसदीय सीट उनके लिए नहीं छोड़ती है गौरतलब है कि यह दोनों सीटें कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है ।
जीडीएस ने इस बात पर जोर दिया है कि उसे राज्य में लोकसभा की कुल 28 में से 12 सीटें दी जाए हालांकि पार्टी सुप्रीमो और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने रविवार को संकेत दिया कि उनकी पार्टी किसी भी समझौते के लिए तैयार है कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी पर सरकारी कार्यक्रमों का इस्तेमाल राजनीतिक सभाओं के लिए करने का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि क्या चुनाव आयोग आम चुनाव की तिथियों की घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री की अधिकारिता कार्यक्रमों को पूरा होने का इंतजार कर रहा है ।
 भारत कि राजनीति का इतना गिरा हुआ स्तर इससे पहले कभी नहीं देखा गया था जितना आज हमें देखने को मिल रहा है शहीदों की चिताओं पर शहीदों की शहादत पर आज के राजनेता जिस तरह की राजनीति कर रहे हैं जिस तरीके से शहीदों की शहादत पर चुनाव की विसात को सजाया जा रहा है यह हमें समझना चाहिए । और सोच समझ कर लोकसभा चुनाव में इन्हें इनका जवाब देना चाहिए हमारी प्राथमिकता है और हमारी जिम्मेदारी भी है कि हम इस घटिया राजनीति को समझें और एक जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज अदा करें ।

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